डायबिटीज के मैनेजमेंट में मददगार बनते डिजिटल माध्‍यम और एप्‍स

डायबिटीज के मैनेजमेंट में मददगार बनते डिजिटल माध्‍यम और एप्‍स

डॉक्‍टर अनूप मिश्रा

हाल के समय में आहार, शारीरिक गतिविधि, दवा और इंसुलिन आदि के प्रबंधन, डॉक्‍टर-मरीज के बीच संपर्क और इलाज की अनुरूपता बढ़ाने के लिए डिजिटल और वेब प्‍लेटफॉर्म का इस्‍तेमाल होने लगा है। बाजार में कई डायबिटीज एप्‍स उपलब्‍ध हैं। डायबिटीज के मरीज इनमें से कोई भी एक एप, जिसमें अधिकतम फीचर्स हों, चुनकर आसान तरीके से अपने डायबिटीज का प्रबंधन करने में सक्षम हो सकते हैं। विभिन्‍न एम्‍स में निम्‍नलिखित फीचर्स अलग-अलग अथवा एक साथ मिल सकते हैं:

ग्‍लूकोज मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग: अधिकांश एप्‍स भोजन के समय के अनुसार जांचे गए ब्‍लड ग्‍लूकोज स्‍तर का हिसाब रखने की सुविधा प्रदान करते हैं। अब कई ग्‍लूकोमीटर सीधे आपके स्‍मार्टफोन और कंप्‍यूटर से लिंक कर सीधे डाटा डाउनलोड करने की सुविधा देते हैं। कई एप्‍स इस डाटा को ग्राफ के रूप में प्रस्‍तुत कर आपके ब्‍लड शुगर में उतार चढ़ाव को प्रदर्शित करते हैं। ऐसे फीचर्स मरीजों को अपना डायबिटीज ज्‍यादा प्रभावी तरीके से मैनेज करने की क्षमता प्रदान करते हैं। कई एप्‍स रिमांइडर सेट करने की सुविधा देते हैं ताक‍ि मरीज समय पर अपना ब्‍लड ग्‍लूकोज जांचना न भूल जाए।

ग्‍लूकोज मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग एप्‍स: आईबीजीस्‍टार (iBGstar), माय फ‍िटनेस पाल (My Fitness Pal), डायबिटीज बडी (Diabetes Buddy), कार्ब काउंटिंग बाय लेनी (Carb Counting by Lenny)  

शारीरिक गतिविधि मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग: शारीरिक गतिविधि के प्रकार, उसकी तीव्रता, खर्च किया गया समय और शारीरिक गतिविधि द्वारा जलाई गई कैलरी की जानकारी होना स्‍वस्‍थ रहने का अच्‍छा तरीका है। मरीज आमतौर पर इन सब के बारे में पर्याप्‍त रूप से प्रेरित नहीं होते। इन सभी को साधने के लिए स्‍मार्ट फोन में मौजूद हेल्‍थ एप्‍स, एक्‍ट‍िविटी ट्रैकर के साथ आने वाला कलाई सेंसर और पैडोमीटर्स बेहद उपयोगी होते हैं। व्‍यायाम का लक्ष्‍य, जैसे कि, हर दिन कितने कदम चले अथवा वजन कितना कम हुआ, उसे इन उपायों के जरिये हर व्‍यक्ति के मामले में अलग-अलग तय किया जा सकता है। ये एप्‍स शारीरिक गतिविधि के अनुरूप वजन में हुई कमी के डेटा का कर्व या गतिविधि के अनुरूप होने वाली संभावित कमी के बारे में जानकारी देता है जिससे लोग प्रेरित हो सकते हैं। व्‍यायाम का रिमाइंडर अथवा कम पैदल चलने पर सेट रिमाइंडर आपको अपना लक्ष्‍य पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

फीजिकल एक्टिविटी मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग एप्‍स: स्‍टेप्‍स पैडोमीटर ( Steps Pedometer), मैप माई वाक (Map My Walk), स्‍टेप्‍ज (Stepz), वाकर पैडोमीटर लाइट (Walker Pedometer Lite), फुटस्‍टेप्‍स (Footsteps), आईरनर (iRunner), रनटास्टिक पैडोमीटर (Runtastic Pedometer) और कलाई में बांधने वाले सेंसर्स (फिटबिट आदि)

इंसुलिन डोज कैलकुलेटर: इंसुलिन का डोज कई अलग-अलग फैक्‍टर्स को ध्‍यान में रखकर तय किया जाता है जिसमें कार्बोहाइड्रेट की गणना, व्‍यायाम, ब्‍लड ग्‍लूकोज का स्‍तर और लक्ष्‍य तथा इंसुलिन सेंसिटिविटी का फैक्‍टर शामिल है। ये सभी गणना कई मरीजों के लिए बहुत ही मुश्किल और जटिल हो जाती है। ऐसी स्थिति में इंसुलिन डोज कैलकुलेटर एप्‍स का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इंसुलिन पम्‍प इस्‍तेमाल करने वाले मरीजों के पास इंसुलिन बोलस विजार्ड के रूप में एक विकल्‍प होता है जो उनके लिए इंसुलिन के डोज की गणना करता है।

इंसुलिन कैलकुलेटर एप्‍स: इंसुलिन कैलकुलेटर, बोलस कैल्‍क, इंसुलिन डोज कैलकुलेटर प्रो, डायबिटीज पर्सनल कैलकुलेटर। ये सभी एप्‍स एफडीए से अनुमोदित नहीं हैं।

इंटरनेट और स्‍मार्टफोन के जरिये सामाजिक सहयोग: सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म (जैसे कि फेसबुक या व्‍हाट्सएप) पर विभिन्‍न समूहों में कोई व्‍यक्ति अपने जैसी बीमारी (उदाहरण के लिए टाइप 1 डायबिटीज) से पीड़‍ित दूसरे व्‍यक्ति की मदद कर सकता है। इसके लिए वो अपने अनुभव साझा कर जानकारी का प्रसार कर सकता है। इन समूहों के सदस्‍य अपने द्वारा हासिल उपलब्धियों को समूहों पर पोस्‍ट कर सकते हैं और पूरी दुनिया के सदस्‍यों के बीच होने वाली आभासी प्रतियोगिता में भागीदारी कर सकते हैं। प्रतियोगिता की ये भावना और दूसरों की उपलब्धियां इन सदस्‍यों को भी बेहतर करने के लिए प्रेरित करेंगी। दूसरी ओर, ये खतरा भी है कि इन समूहों पर दी जाने वाली सलाह कई बार गलत निकले, इसलिए किसी भी सलाह पर अमल करने से पहले मरीज को अपने डॉक्‍टर से जरूर जानकारी ले लेनी चाहिए।

डिजिटल हेल्‍स प्‍लेटफॉर्म्स की कमियां:

1. कीमत एक बड़ा फैक्‍टर है क्‍योंकि मरीज को पहले तो एक स्‍मार्टफोन में पैसा निवेश करना होगा और उसके बाद एप्‍स के लिए भी क्‍योंकि कई एप्‍स मुफ्त नहीं आते।

2. समाज के कुछ वर्गों की स्‍वीकार्यता सीमित होती है जिनमें बुजुर्ग, बच्‍चे, अशिक्षित, सामाजिक-आर्थिक रूप से नीचे का तबका और दिव्‍यांग शामिल हैं

3. इन डिजिटल औजारों की उपयोगिता साबित करने के लिए पर्याप्‍त वैज्ञानिक अध्‍ययन मौजूद नहीं हैं

4. व्‍यक्तिगत डाटा की निजता की गारंटी नहीं होती

इंटरनेट सर्च इंजिनों (गूगल, बिंग आदि) के जरिये बीमारियों की जानकारी जुटाना:

सावधानी: मरीजों को समझना चाहिए कि ये सर्च इंजिन मददगार हो सकते हैं मगर फीजिशियन के संपर्क का विकल्‍प नहीं हो सकते। उन्‍हें ये जानना चाहिए कि ऐसे कई सारे वेबसाइटों पर दी गई जानकारी मेडिकल प्रोफेशनल्‍स द्वारा नहीं दी गई है और इसी सूचनाएं कई बार अपडेटेड और सटीक नहीं होती हैं। इन सर्च इंजिनों के जरिये जुटाई गई किसी भी जानकारी को निश्चित रूप से किसी डायबिटीज रोग विशेषज्ञ से सत्‍यापित कराना चाहिए।

(डॉक्‍टर अनूप मिश्रा के किताब डायबिटीज विद डिलाइट से साभार। ये पुस्‍तक शीघ्र ही हिंदी पाठकों के लिए भी उपलब्‍ध होगी।)

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